सिकंदरपुर में श्री राम कथा में भरत के प्रसंग सुन श्रोता हुए भावविभोर

चकिया,चंदौली: भगवान शिव शंकर की पावन परिसर में जागृति सेवा समिति सिकंदरपुर द्वारा आयोजित श्रीराम कथा के आठवें दिन मंगलवार को वृंदावन से पधारे पूज्य संत मुकेश आनंद जी महाराज ने कहा कि संसार में भरत जैसा कोई भाई नहीं है।
भरत शब्द के भ का अर्थ भक्ति, र का अर्थ रस और त का अर्थ तत्व है। जहां पर भक्ति रूपी गंगा, प्रेम रस रूपी संगम स्थल हो, उस मूर्तिमान को प्रयाग कहते हैं। इसलिए भरत को प्रयाग भी कहा गया है।
उन्होंने बताया कि भरत, राम के भाई, त्याग और समर्पण के प्रतीक हैं। उन्होंने अपने भाई राम के लिए अयोध्या के राजसिंहासन का त्याग कर दिया और वन में रहकर राम की प्रतीक्षा की, जो रामायण में एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक है।
भरत चरित्र की कथा सुनकर कथा भक्तों के नेत्र अश्रुपूरित हो गए। इस अवसर पर कथा वक्ता मानस मयूरी शालिनी त्रिपाठी डॉ प्रदीप मौर्या दीपक पासवान अरविंद सिंह रामभरोस जायसवाल संजय पटेल राजीव पाठक सूर्यनाथ मौर्य संतोष मौर्य विमलेश विश्वकर्मा विजय चौरसिया अवधेश प्रजापति उदयनाथ मौर्य बंधुदास केसरी शीतला प्रसाद केसरी बालाजी रस्तोगी इत्यादि उपस्थित रहे।